पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
मोहिः संभ्रान्तः स्थित्वा शान्तिं न प्राप्नोत्।
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण read more विघ्न विनाशन॥
त्रिपुरासुरेण सह युद्धं प्रारब्धम् ।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
शिव भजन
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।